गुजरात में बुनियादी ढांचे की खस्ताहाली एक बार फिर उजागर हो गई जब मुजपुर-घंबीरा पुल का एक हिस्सा इस महीने की शुरुआत में महिसागर नदी में गिर पड़ा। इस दर्दनाक हादसे में 20 लोगों की जान चली गई, और दर्जनों घायल हुए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने पुल की हालत पर पहले ही चिंता जताई थी, लेकिन प्रशासन ने या तो उसे नजरअंदाज किया, या फिर खतरे को स्वीकारने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यह हादसा तब हुआ जब नदी उफान पर थी और पुल के नीचे का हिस्सा ढह गया।
अभिनय देशपांडे की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार वर्षों में गुजरात में कम से कम छह पुल गिर चुके हैं, जिससे स्पष्ट है कि यह कोई एकमात्र घटना नहीं है, बल्कि एक व्यापक प्रशासनिक विफलता है।
स्थानीय निवासियों और विशेषज्ञों का कहना है कि जांच और मरम्मत की प्रक्रिया बेहद सुस्त है, और अक्सर शिकायतें केवल कागजों तक ही सीमित रह जाती हैं। राज्य सरकार पर ढांचागत विकास में लापरवाही के आरोप लगे हैं।
इस घटना ने न केवल सार्वजनिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि राज्य में निर्माण और निगरानी की प्रक्रिया कितनी असुरक्षित और उपेक्षित हो चुकी है। यदि समय रहते चेतावनियों पर ध्यान दिया गया होता, तो शायद यह त्रासदी टाली जा सकती थी।