उत्तराखंड के हल्द्वानी में बनभूलपुरा इलाके के करीब 50 हजार लोग इन दिनों भारी अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। वर्ष 2022 में जारी किए गए एक बेदखली आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, और इसी फैसले पर 4,365 चिन्हित ढांचों का भविष्य टिका हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक अदालत का अंतिम आदेश नहीं आ जाता, तब तक उनके सिर पर बेदखली की तलवार लटकी रहेगी।
गफूर बस्ती की तंग गलियों में बैठे 29 वर्षीय मोहम्मद अमन अंसारी अपने पिछले महीने के हिसाब-किताब देख रहे हैं, लेकिन उनकी नजर बार-बार बगल में रखे मोबाइल फोन पर चली जाती है। वह सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से जुड़ी किसी भी खबर का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि इसी मामले पर इलाके की आंगनवाड़ी समेत कई सामुदायिक सुविधाओं का भविष्य निर्भर करता है।
अमन ने ‘The Indian Witness’ से बातचीत में कहा, “आज भी शायद सुनवाई न हो पाए। हम लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।” उनके जैसे हजारों परिवारों के लिए यह केवल कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी और भविष्य का सवाल बन चुकी है।
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बनभूलपुरा के निवासियों का कहना है कि वे दशकों से यहां रह रहे हैं और उनके पास बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं। उनका दावा है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के बेदखली से हजारों लोग बेघर हो जाएंगे। दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि यह मामला जमीन पर कथित अतिक्रमण से जुड़ा है और अदालत के आदेश का पालन किया जाना जरूरी है।
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हैं। स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि न्यायालय उनके पक्ष को सुनेगा और उन्हें राहत देगा, ताकि वर्षों से बसे घर, स्कूल, आंगनवाड़ी और दुकानें सुरक्षित रह सकें।
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