एचडीएफसी बैंक के चेयरमैन अतनु चक्रवर्ती ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज़ी लाने के लिए अब निजी क्षेत्र को बड़ी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है। उनके अनुसार, मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए, निवेश और विकास में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है।
उन्होंने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में शहरी मांग में नरमी देखी गई, जबकि स्थायी निवेश का स्तर भी अपेक्षाकृत मामूली रहा। इसके अलावा, वर्ष की दूसरी छमाही में विदेशी पूंजी प्रवाह भी कमजोर पड़ा, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और निवेशकों की सतर्कता को दर्शाता है।
चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार द्वारा हाल के वर्षों में बुनियादी ढांचे, उत्पादन प्रोत्साहन योजनाओं और आर्थिक सुधारों पर जोर दिया गया है, लेकिन इन पहलों के सफल होने के लिए निजी क्षेत्र को पूंजी निवेश, रोजगार सृजन और नवाचार में अग्रणी भूमिका निभानी होगी।
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उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि विदेशी निवेश में कमी का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक हो सकता है, इसलिए घरेलू निजी निवेश को बढ़ावा देना अनिवार्य है। इसके लिए नीतिगत स्थिरता, सरल विनियामक प्रक्रियाएं और उद्योग-हितैषी वातावरण जरूरी हैं।
एचडीएफसी बैंक चेयरमैन ने भरोसा जताया कि सही दिशा और नीतिगत सहयोग से निजी क्षेत्र न केवल मौजूदा चुनौतियों से निपट सकता है, बल्कि भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक मजबूत और स्थायी स्थान दिलाने में भी सक्षम होगा।
यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक बाजारों में अस्थिरता और घरेलू आर्थिक संकेतकों में मिश्रित रुझान देखने को मिल रहे हैं, जिससे विकास की रफ्तार को बनाए रखना एक चुनौती बन गई है।
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