भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अक्टूबर 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखा। यह लगातार दूसरा मौका है जब केंद्रीय बैंक ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया। रेपो रेट में पहले हुई कटौती के बाद से ही होम लोन की ब्याज दरें लगातार नीचे की ओर जा रही हैं, जिससे घर खरीदने वालों के लिए यह समय विशेष रूप से आकर्षक बन गया है। कम ब्याज दर का मतलब है कम EMI और पूरे लोन कार्यकाल में ब्याज का बोझ घट जाना।
हालांकि, कम ब्याज दरें देखकर जल्दबाज़ी में लोन लेने का विचार हमेशा सही नहीं होता। होम लोन एक दीर्घकालिक वित्तीय प्रतिबद्धता होती है, जो 15 से 30 साल तक आपके बजट को प्रभावित करती है। ऐसे में 0.25% या 0.50% तक का अंतर भी 20 साल की अवधि में लाखों रुपये की बचत या अतिरिक्त भुगतान का कारण बन सकता है।
लोन लेने से पहले उधारकर्ताओं को अपने वित्तीय हालात का आकलन करना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आपकी आय स्थिर है, क्रेडिट स्कोर अच्छा है और EMI आपकी मासिक कमाई के 40% से अधिक न हो। इसके साथ ही लोन एग्रीमेंट की बारीकी से जांच करना बेहद जरूरी है—प्रोसेसिंग फीस, फोरक्लोज़र चार्जेज, रीसेट अवधि, ब्याज दर का प्रकार (फ्लोटिंग/फिक्स्ड), और अन्य शर्तें लोन की कुल लागत को प्रभावित करती हैं।
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अक्सर कम दरों के दौर में लोग बिना तुलना किए किसी भी बैंक से लोन ले लेते हैं। जबकि अलग-अलग बैंकों और NBFCs की शर्तें काफी भिन्न होती हैं। ब्याज दर के अलावा, बैंक की सेवाओं, लोन स्विचिंग सुविधा और समय से EMI भुगतान पर मिलने वाले लाभों पर भी गौर करें।
कम ब्याज दरें निश्चित रूप से लाभकारी हैं, लेकिन सही योजना और समझदारी ही आपको लंबे समय तक वित्तीय सुरक्षा दे सकती है।
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