आईआईटी खड़गपुर में हाल ही में उठे शाकाहारी और मांसाहारी टेबल विवाद पर संस्थान के निदेशक ने स्पष्ट किया है कि यह प्रशासन का निर्णय नहीं था, बल्कि छात्रों द्वारा जारी एक आंतरिक परिपत्र (सर्कुलर) के कारण हुआ।
निदेशक ने कहा कि जब प्रशासन को इस ईमेल और संभावित सीटिंग सेग्रिगेशन (बैठक व्यवस्था में भेदभाव) की जानकारी मिली, तो उसने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए ऐसी प्रथा को रोकने का निर्देश दिया। हालांकि, संस्थान से जुड़े एक सूत्र के अनुसार, ‘सिर्फ शाकाहारी’ टेबल्स की व्यवस्था पहले से ही सभी डाइनिंग हॉल्स में मौजूद थी और यह कोई नई प्रथा नहीं थी।
मामले ने तब तूल पकड़ा जब सोशल मीडिया पर छात्रों के बीच जारी ईमेल और नोटिस वायरल हुए। इसमें शाकाहारी छात्रों के लिए अलग टेबल निर्धारित करने की बात कही गई थी। आलोचकों ने इसे भेदभावपूर्ण व्यवस्था बताया और इसे संस्थान की छवि से जोड़कर देखा।
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प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया कि संस्थान किसी भी प्रकार के भेदभाव को बढ़ावा नहीं देता। सभी छात्रों को समान अवसर और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। वहीं, कुछ छात्र समूहों का कहना है कि अलग टेबल्स की व्यवस्था कई सालों से प्रचलित है और यह सुविधा उन छात्रों के लिए थी जो भोजन की शुद्धता को लेकर संवेदनशील रहते हैं।
विवाद के बाद प्रशासन ने छात्रों से अपील की है कि वे आपसी सौहार्द और समावेशिता बनाए रखें। साथ ही संस्थान ने दोहराया कि आईआईटी खड़गपुर विविधता और समानता की भावना को सर्वोपरि मानता है।
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