विपक्षी सांसदों ने मद्रास हाई कोर्ट के जज जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए उनके महाभियोग की मांग करते हुए नाटकीय कदम उठाया है। INDIA गठबंधन के 100 से अधिक सांसदों ने आरोप लगाया है कि जज पर “सिद्ध दुराचार, पक्षपात और न्यायिक अनुशासनहीनता” के गंभीर आरोप हैं। सांसदों का कहना है कि उन्होंने राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश को 13 बिंदुओं वाला ज्ञापन सौंपा था, लेकिन कोई कार्रवाई न होने और न्यायाधीश के “निरंतर साम्प्रदायिक पूर्वाग्रह” के कारण उन्हें महाभियोग प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी।
सांसदों ने कहा कि ये आरोप न्यायपालिका की निष्पक्षता, पारदर्शिता और धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर गंभीर सवाल उठाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जस्टिस स्वामीनाथन ने खास वकीलों, खासकर ब्राह्मण और दक्षिणपंथी विचारधारा से जुड़े अधिवक्ताओं को प्राथमिकता दी। यह भी कहा गया कि उन्होंने कई मामलों में अमिकस क्यूरी और पहली अपीलों की लिस्टिंग में पक्षपात दिखाया।
सांसदों ने करूर में अंगप्रदक्षिणा की अनुमति देने वाले आदेश को 2015 के डिवीजन बेंच के फैसले के खिलाफ बताया, जिसे बाद में डिवीजन बेंच ने “जुडिशियल इंडिसिप्लिन” मानते हुए रद्द कर दिया।
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इसके अलावा, विपक्षी सांसदों ने कहा कि जज ने विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति संबंधी याचिका पर अवकाश के दौरान त्वरित सुनवाई कर राजनीतिक संवेदनशील मामले में अनुचित हस्तक्षेप किया और आदेश सुनाते समय अदालत की माइक्रोफोन को म्यूट कर दिया, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठे।
यूट्यूबर सवुक्कू शंकर की हिरासत चुनौती, बीजेपी समर्थित इंफ्लुएंसर के एफआईआर रद्द करने में जल्दबाजी, कैथोलिक पादरी पर की गई टिप्पणी, बीजेपी नेता अन्नामलाई की प्रशंसा, सांप्रदायिक बयान और कई धार्मिक मामलों में पक्षपाती रुख को भी सांसदों ने सबूतों के साथ रखा।
सांसदों ने कहा कि जज के कई बयान न्यायिक आचरण के मानकों का उल्लंघन हैं और न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं।
जस्टिस स्वामीनाथन की ओर से अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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