भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत ने गुरुवार (11 दिसंबर 2025) को सुप्रीम कोर्ट में श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश प्रीथी पद्मन सुरसेना का औपचारिक स्वागत किया। न्यायमूर्ति सुरसेना, जिन्होंने 27 जुलाई को श्रीलंका के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला था, विशेष सत्र के दौरान CJI और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची के साथ एक संयुक्त पीठ में शामिल हुए। उनके साथ श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालय के नौ न्यायाधीशों का प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद था।
CJI सूर्य कांत ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और उनके प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी कर सम्मानित महसूस कर रही है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और भावनात्मक रिश्ते बेहद मजबूत हैं और यह मुलाकात न्यायिक संवाद को और सुदृढ़ करेगी।
न्यायमूर्ति सुरसेना ने गर्मजोशी से प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत उनके और उनके साथ आए न्यायाधीशों के लिए अत्यंत सम्मानित और प्रिय पड़ोसी है। उन्होंने कहा कि भारत और श्रीलंका के संबंध 2,500 वर्षों से भी अधिक पुराने हैं। अशोक महान के बंगाल से श्रीलंका आगमन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों का जुड़ाव भारतीय महाकाव्यों, विशेषकर रामायण में दर्ज है, जो शहरों के अस्तित्व में आने से भी पहले की सभ्यता को दर्शाता है।
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उन्होंने बताया कि श्रीलंकाई प्रतिनिधिमंडल ने 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के संविधान दिवस समारोह में भी भाग लिया था और भारत आने पर गर्व महसूस कर रहा है।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटारमणि और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का उल्लेख किया। CJI ने बताया कि श्रीलंकाई न्यायाधीशों ने भोपाल स्थित नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी में तीन दिन का प्रशिक्षण लिया और 13 दिसंबर को वे दिल्ली हाई कोर्ट का दौरा करेंगे। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और AOR एसोसिएशन के अध्यक्षों ने भी दोनों देश के मुख्य न्यायाधीशों के इस ऐतिहासिक क्षण की सराहना की।
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