भारत ने क्रिसमस के दौरान कथित तोड़फोड़ और अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर पाकिस्तान की टिप्पणियों को सख्ती से खारिज करते हुए पलटवार किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार के मामले में पाकिस्तान का रिकॉर्ड इतना खराब है कि उसे इस विषय पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, “हम ऐसे देश की टिप्पणियों को खारिज करते हैं, जिसका इस मोर्चे पर बेहद खराब रिकॉर्ड खुद ही सब कुछ बयां करता है।” उन्होंने आगे कहा कि विभिन्न धर्मों के अल्पसंख्यकों के खिलाफ पाकिस्तान में “भयानक और व्यवस्थित उत्पीड़न” एक स्थापित सच्चाई है और आरोप लगाने से इस हकीकत को छुपाया नहीं जा सकता।
दरअसल, पाकिस्तान ने हाल ही में भारत में क्रिसमस के दौरान हुई कथित तोड़फोड़ की घटनाओं का हवाला देते हुए चिंता जताई थी। इस्लामाबाद की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि भारत में अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के खिलाफ हिंसा गहरी चिंता का विषय है। बयान में यह भी आरोप लगाया गया कि मुसलमानों के घर गिराए जा रहे हैं और बार-बार लिंचिंग की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे समुदाय में भय और अलगाव की भावना बढ़ रही है।
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भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान को पहले अपने घर में झांकना चाहिए। भारत ने यह भी याद दिलाया कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों—जैसे हिंदू, सिख और ईसाई—की स्थिति पर पहले भी सवाल उठाए जाते रहे हैं।
पिछले महीने अमेरिका के सीनेटर जिम रिश ने भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता जताई थी। पाकिस्तान के शीर्ष मानवाधिकार निकाय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में खतरनाक बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में हिंदू और ईसाई लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और कम उम्र में शादी जैसी घटनाओं का भी उल्लेख किया गया था।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद सहित कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे व्यवहार का मुद्दा लगातार उठाया है।
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