त्रिपुरा की क्षेत्रीय पार्टी टिपरा मोथा ने अगरतला में स्थित बांग्लादेश सहायक उच्चायोग (Assistant High Commission) को फिर से खोले जाने को लेकर सख्त शर्त रखी है। पार्टी के संस्थापक और त्रिपुरा के शाही वंशज प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने स्पष्ट कहा है कि जब तक बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले बंद नहीं होते और भारत-विरोधी बयानबाजी पर रोक नहीं लगती, तब तक इस कार्यालय को दोबारा खोलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
प्रद्योट किशोर ने कहा कि बांग्लादेश में हाल के महीनों में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां न केवल धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है, बल्कि भारत के खिलाफ भी लगातार भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि त्रिपुरा और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध रहे हैं, लेकिन इन संबंधों का सम्मान तभी संभव है जब सीमापार शांति और सुरक्षा सुनिश्चित हो। प्रद्योत किशोर ने यह भी कहा कि अगर बांग्लादेश सरकार वास्तव में अच्छे पड़ोसी के सिद्धांत का पालन करना चाहती है, तो उसे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी और भारत-विरोधी गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी।
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टिपरा मोथा प्रमुख ने दो टूक शब्दों में कहा कि अगरतला में बांग्लादेश सहायक उच्चायोग का दोबारा खुलना केवल एक प्रशासनिक मामला नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय सुरक्षा, अल्पसंख्यकों के अधिकार और भारत की संप्रभुता से जुड़ा हुआ मुद्दा है। जब तक इन बुनियादी चिंताओं का समाधान नहीं होता, तब तक पार्टी इस कार्यालय के पुनः संचालन का विरोध करती रहेगी।
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