केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत का विशाल घरेलू बाज़ार कंपनियों को एक “सुकून भरा क्षेत्र” (Cosy Comfort Zone) प्रदान कर रहा है, जिसके कारण वे वैश्विक स्तर पर विस्तार करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है। गोयल का कहना है कि भारत की कंपनियां घरेलू मांग पर निर्भर रहकर संतुष्ट हो रही है और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने का जोखिम नहीं उठा रही है।
एक उद्योग सम्मेलन को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि “भारत के पास इतनी बड़ी उपभोक्ता शक्ति है कि कंपनियां केवल यहीं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। लेकिन यदि हमें वैश्विक नेतृत्व हासिल करना है, तो हमें घरेलू सीमाओं से बाहर निकलकर दुनिया के बाजारों में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की सरकार निर्यात बढ़ाने, विदेशी निवेश आकर्षित करने और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। मगर कंपनियों को भी नवाचार, गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी कीमतों पर जोर देना होगा, ताकि वे केवल घरेलू बाजार पर निर्भर न रहें।
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गोयल ने सुझाव दिया कि भारतीय उद्योग को अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर निवेश बढ़ाना चाहिए और उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों में वैश्विक मानकों को अपनाना चाहिए। उनके अनुसार, भारत को यदि अगले दशक में विश्व अर्थव्यवस्था में अग्रणी बनना है, तो कंपनियों को आत्मनिर्भरता से आगे बढ़कर वैश्विक महत्वाकांक्षा दिखानी होगी।
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