भारत ने अपने पहले स्वदेशी मल्टी-स्टेज मलेरिया वैक्सीन के निर्माण और व्यावसायीकरण के लिए उद्योग जगत के साझेदारों को शामिल करने का निर्णय लिया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बताया कि यह वैक्सीन मलेरिया परजीवी को खून में प्रवेश करने से पहले ही निष्क्रिय कर देती है, जिससे संक्रमण और आगे प्रसार दोनों को रोका जा सकेगा।
इस वैक्सीन को किफायती, स्थिर और बड़े पैमाने पर उत्पादन योग्य बनाया गया है। ICMR के अनुसार, यह सामान्य कमरे के तापमान पर भी 9 महीने से अधिक समय तक प्रभावी बनी रहती है, जिससे इसे ग्रामीण और दूरदराज़ के इलाकों में भी आसानी से उपलब्ध कराया जा सकेगा। यह गुण इसे भारत जैसे विशाल और विविध जलवायु वाले देश के लिए अत्यंत उपयुक्त बनाता है।
मलेरिया भारत और दुनिया के कई हिस्सों में अब भी एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है। हर साल लाखों लोग इससे प्रभावित होते हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या बच्चों और गर्भवती महिलाओं की होती है। इस वैक्सीन का विकास न केवल भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण योगदान साबित हो सकता है।
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ICMR ने कहा कि उद्योग साझेदारों की भागीदारी से वैक्सीन का तेज़ी से उत्पादन और वितरण सुनिश्चित होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल मलेरिया उन्मूलन की दिशा में भारत की रणनीति को मजबूत करेगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य विज्ञान में भारत की स्थिति को और ऊंचा करेगी।
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