विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार (5 नवंबर, 2025) को कहा कि भारत-जापान की साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देती है और वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास में योगदान करती है। उन्होंने कहा कि "स्वतंत्र और खुला" इंडो-पैसिफिक बनाए रखना एक मजबूत आवश्यकता है, लेकिन यह चुनौती भी अधिक जटिल है।
जयशंकर ने यह बात दिल्ली पॉलिसी ग्रुप और जापान इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स द्वारा आयोजित इंडिया-जापान इंडो-पैसिफिक फोरम में कही। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दशकों में दोनों देशों की साझेदारी और गहरी हुई है, और इसका महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। यह साझेदारी न केवल क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ाती है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान भी करती है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री सानाए टाकाईची के हालिया फोन संवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि यह दोनों पक्षों द्वारा रिश्तों को प्राथमिकता देने का प्रमाण है। जयशंकर ने कहा कि आगे देखते हुए, भारत-जापान साझेदारी को अपनी ताकतों का लाभ उठाने, आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेमीकंडक्टर, महत्वपूर्ण खनिज, स्वच्छ ऊर्जा और अंतरिक्ष में निवेश पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
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उन्होंने इंडो-पैसिफिक ओशंस इनिशिएटिव का भी उल्लेख किया, जिसमें जापान समुद्री व्यापार, परिवहन और कनेक्टिविटी स्तंभ की सह-नेतृत्व करता है। इसके अलावा, नेक्स्ट जनरेशन मोबिलिटी पार्टनरशिप, इकोनॉमिक सिक्योरिटी इनिशिएटिव, जॉइंट क्रेडिटिंग मैकेनिज्म, क्लीन हाइड्रोजन और अमोनिया पर संयुक्त घोषणा, और खनिज संसाधनों में एमओयू जैसी नई पहलें साझा की गई हैं।
जयशंकर ने कहा कि मानव संसाधन सहयोग और आदान-प्रदान के लिए एक्शन प्लान के जरिए लोगों के बीच संबंध और मजबूत होंगे, जिससे सामाजिक स्तर पर गहरी समझ विकसित होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन सभी पहलों से भारत-जापान संबंधों की रणनीतिक और व्यापक प्रकृति पुष्ट होती है।
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