केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा है कि भारत अब न्याय प्रणाली को तकनीकी रूप से सशक्त और आधुनिक बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। उनका कहना है कि सरकार का उद्देश्य है कि न्याय व्यवस्था अधिक पारदर्शी, सुलभ और कुशल बने ताकि आम नागरिकों को त्वरित न्याय मिल सके।
कानून मंत्री ने बताया कि न्यायालयों में डिजिटल तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डेटा प्रबंधन प्रणाली को शामिल किया जा रहा है ताकि मामलों के निपटारे की प्रक्रिया को तेज और सरल बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट प्रोजेक्ट, वर्चुअल हियरिंग और ऑनलाइन फाइलिंग जैसी पहलें न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक परिवर्तन ला रही हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि भारत की न्याय प्रणाली को “व्यवसाय अनुकूल” (business-friendly) बनाना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसका उद्देश्य विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना और देश को एक भरोसेमंद निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि कारोबारी विवादों के त्वरित निपटारे के लिए आर्बिट्रेशन और मेडिएशन तंत्र को और मजबूत किया जा रहा है।
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कानून मंत्री ने आगे कहा कि न्याय व्यवस्था में तकनीकी सुधार न केवल मामलों के तेजी से निपटारे में मदद करेंगे बल्कि भ्रष्टाचार और मानव हस्तक्षेप की संभावनाओं को भी कम करेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि डिजिटल न्याय प्रणाली से “Ease of Doing Justice” और “Ease of Doing Business” दोनों को समान रूप से बढ़ावा मिलेगा।
सरकार का लक्ष्य है कि तकनीक के माध्यम से न्याय व्यवस्था को आम जनता के और करीब लाया जाए और इसे 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप बनाया जाए।
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