विदेश मंत्रालय (MEA) के हालिया बयान से संकेत मिलता है कि भारत अमेरिकी टैरिफ और यूरोपीय संघ (EU) के रूसी तेल पर लगाए गए प्रतिबंधों से निपटने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव कर सकता है। इन कदमों का असर भारत की ऊर्जा आपूर्ति और व्यापारिक संबंधों पर सीधा पड़ सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, नई दिल्ली जिन विकल्पों पर विचार कर रही है, उनमें दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) करना शामिल है। इसके अलावा, भारत ईरान और वेनेजुएला से तेल आयात को फिर से शुरू करने पर भी विचार कर सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति को विविध बनाना और नए व्यापारिक साझेदारों के साथ समझौते करना बेहद जरूरी हो गया है। अमेरिकी टैरिफ और यूरोपीय प्रतिबंधों के चलते भारत को ऊर्जा कीमतों और आपूर्ति सुरक्षा को बनाए रखने के लिए वैकल्पिक रास्ते अपनाने पड़ सकते हैं।
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MEA के बयान में कहा गया कि भारत अपनी आर्थिक और ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सभी उपलब्ध विकल्पों का आकलन करेगा। हालांकि, मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कोई भी निर्णय भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक हितों को ध्यान में रखकर ही लिया जाएगा।
इससे पहले भी भारत ने वैश्विक दबावों के बावजूद रूसी तेल आयात को जारी रखा था, जिससे उसे सस्ती ऊर्जा का लाभ मिला। लेकिन बदलते हालातों में भारत को अपनी नीति में लचीलापन लाना पड़ सकता है।
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