भारत वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन बाज़ार में 10% हिस्सेदारी हासिल करने की रणनीति बना रहा है। यह जानकारी केंद्रीय राज्य मंत्री (MoS) श्रिपाद नाइक ने फिक्की (FICCI) के एक कार्यक्रम में साझा की। उन्होंने कहा कि देश के लिए यह क्षेत्र ऊर्जा संक्रमण और स्थायी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
श्रिपाद नाइक ने आगे कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन लागत अब कम हो रही है, जिसका मुख्य कारण तकनीकी उन्नति है। सौर ऊर्जा (Solar PV), अपतटीय पवन ऊर्जा (Offshore Wind) और इलेक्ट्रोलाइज़र की दक्षता में सुधार ने उत्पादन लागत को घटाने में मदद की है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने इन तकनीकों को अपनाकर ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को और अधिक आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
MoS ने यह स्पष्ट किया कि ग्रीन हाइड्रोजन केवल ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भी सहायक होगा। इससे न केवल देश में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विस्तार होगा, बल्कि ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात के माध्यम से वैश्विक बाज़ार में भारत की स्थिति भी मजबूत होगी।
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र में निवेश और शोध को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल नीतियाँ और योजनाएँ लागू कर रही है। उद्योग जगत और नीति निर्माताओं के सहयोग से भारत अगले कुछ वर्षों में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात में वैश्विक खिलाड़ी बन सकता है।
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