भारत वियतनाम को कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें बेचने पर बातचीत कर रहा है। यह जानकारी बुधवार को भारत की रक्षा अनुसंधान एजेंसी (DRDO) के प्रमुख एस. क्रिस्टोफर ने दी। यह भारत द्वारा वियतनाम को पहली बार ऐसी मिसाइलें देने की दिशा में उठाया गया कदम होगा।
भारत पहले से ही वियतनामी सेना को प्रशिक्षण और गश्ती नौकाओं के माध्यम से सहायता प्रदान कर रहा है। लेकिन मिसाइल बिक्री के ज़रिए रक्षा संबंधों में यह और गहराई ला सकता है, जिससे चीन की प्रतिक्रिया सामने आ सकती है, जो दक्षिण चीन सागर में हनोई के साथ क्षेत्रीय विवाद में उलझा हुआ है।
DRDO अध्यक्ष ने बताया कि भारत अन्य कई देशों के साथ 'आकाश' मिसाइल प्रणाली की बिक्री को लेकर चर्चा कर रहा है, जिनमें वियतनाम भी शामिल है। उन्होंने यह बात एक एयरो शो के दौरान कही, जहाँ DRDO ने अपनी मिसाइल परियोजनाओं और घरेलू हल्के लड़ाकू विमान को प्रदर्शित किया।
हालांकि, क्रिस्टोफर ने यह नहीं बताया कि वियतनाम को कितनी संख्या में आकाश मिसाइलें दी जाएंगी।
वियतनाम वर्तमान में एक मूक सैन्य सुदृढ़ीकरण प्रक्रिया से गुजर रहा है, जिसका उद्देश्य अपने 200 नॉटिकल मील के विशेष आर्थिक क्षेत्र की रक्षा करना है, विशेषकर तब जब चीन दक्षिण चीन सागर में अपना दावा आक्रामक तरीके से प्रस्तुत कर रहा है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, वियतनाम न केवल लड़ाकू विमानों, बल्कि उन्नत मिसाइल प्रणालियों में भी रुचि दिखा रहा है। उसने पहले ही रूस से किलो-श्रेणी की पनडुब्बियां खरीदी हैं।
भारत, जिसका चीन के साथ सीमा विवाद अब भी अनसुलझा है, पहले वियतनाम को 290 किमी रेंज की ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल बेचने पर विचार कर चुका है और लगातार वियतनाम की रक्षा क्षमताओं को सशक्त बनाने में सहयोग कर रहा है।
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वियतनाम को रक्षा खरीद हेतु 500 मिलियन डॉलर की ऋण सुविधा की घोषणा की थी। इसके अतिरिक्त, 100 मिलियन डॉलर पहले ही गश्ती नौकाओं की खरीद के लिए दिए जा चुके हैं। भारत और वियतनाम ने वियतनामी पायलटों को रूसी Su-30 लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए प्रशिक्षण देने पर भी सहमति जताई है।