भारतीय सेना को मंगलवार (16 दिसंबर, 2025) को एएच-64ई अपाचे अटैक हेलिकॉप्टरों की अंतिम खेप प्राप्त हो गई। इसके साथ ही राजस्थान के जोधपुर स्थित 451 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन में तैनात छह अपाचे हेलिकॉप्टरों का पूरा बेड़ा तैयार हो गया है। अंतिम खेप में शामिल तीनों हेलिकॉप्टर पहले गाजियाबाद के हिंडन वायुसेना स्टेशन पर उतरे, जिसके बाद उन्हें औपचारिक रूप से सेना में शामिल किया गया।
इन अत्याधुनिक अटैक हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति फरवरी 2020 में अमेरिका के साथ हुए 600 मिलियन डॉलर के समझौते के तहत की गई है। इस सौदे के अंतर्गत भारतीय सेना के लिए कुल छह अपाचे हेलिकॉप्टर खरीदे गए थे। हालांकि, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधाओं के कारण इनकी डिलीवरी में लगभग 15 महीनों की देरी हुई। पहले बैच की आपूर्ति मूल रूप से मई 2024 में होनी थी, लेकिन विलंब के चलते पहले तीन हेलिकॉप्टर इस वर्ष की शुरुआत में ही सेना को मिल सके।
अब अंतिम तीन हेलिकॉप्टरों के आने के साथ ही भारतीय सेना का समर्पित अपाचे स्क्वाड्रन पूरी तरह से ऑपरेशनल हो गया है। एएच-64ई अपाचे हेलिकॉप्टर अपनी अत्याधुनिक मारक क्षमता, उन्नत सेंसर, नाइट फाइटिंग क्षमताओं और सटीक हथियार प्रणालियों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। ये हेलिकॉप्टर दुश्मन के टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और ठिकानों को निशाना बनाने में बेहद प्रभावी माने जाते हैं।
और पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर 2.0 केवल संभावना नहीं, बल्कि अपरिहार्यता है: लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) दुष्यंत सिंह
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अपाचे हेलिकॉप्टरों की तैनाती से भारतीय सेना की आक्रामक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, खासकर सीमावर्ती और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में। यह कदम सेना की हवाई मारक शक्ति को मजबूत करने और आधुनिक युद्ध आवश्यकताओं के अनुरूप खुद को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
और पढ़ें: राजस्थान में सेना का टैंक इंदिरा गांधी नहर में डूबा, एक जवान की मौत