लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) दुष्यंत सिंह ने कहा है कि “ऑपरेशन सिंदूर 2.0” कोई दूर की संभावना नहीं, बल्कि आने वाले समय में एक अपरिहार्य सच्चाई बन सकता है। नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज (CLAWS) के महानिदेशक दुष्यंत सिंह के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर ने क्षेत्रीय सैन्य रणनीति में एक नए प्रकार की ‘एस्केलेशन मैनेजमेंट’ यानी तनाव प्रबंधन की शुरुआत की है।
रविवार को दिए गए अपने बयान में उन्होंने कहा, “हम जितनी जल्दी इसके लिए तैयारी करेंगे, उतना ही बेहतर होगा। ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में इसी तरह के सीमित लेकिन निर्णायक सैन्य कदम दोहराए जा सकते हैं।” उनके मुताबिक, इस ऑपरेशन ने भारत की रणनीतिक सोच में बदलाव को दर्शाया है, जहां पहले की तुलना में अधिक आत्मविश्वास और स्पष्टता नजर आती है।
दुष्यंत सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत के लिए एक “सफलता” बताते हुए कहा कि इसने पारंपरिक सैन्य संयम की धारणा को पीछे छोड़ दिया। उन्होंने दावा किया कि इस अभियान के जरिए पाकिस्तान की कमजोरियों को उजागर किया गया और परमाणु सीमा के भीतर रहते हुए भारत ने अपनी सैन्य बढ़त और प्रभुत्व को स्थापित किया।
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उन्होंने यह भी कहा कि यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि एक संदेश था कि भारत अब बदलते सुरक्षा हालात में अपनी शर्तों पर जवाब देने की क्षमता रखता है। सिंह के अनुसार, इससे भविष्य में होने वाले किसी भी टकराव के स्वरूप और प्रबंधन को लेकर नई दिशा तय हुई है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बयानों से यह संकेत मिलता है कि भारत आने वाले समय में अपनी सैन्य तैयारियों और रणनीतिक क्षमताओं को और मजबूत करने पर जोर देगा। साथ ही, यह भी स्पष्ट है कि सीमापार तनाव की स्थिति में भारत की प्रतिक्रिया पहले से कहीं अधिक सटीक और निर्णायक हो सकती है।
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