भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 75 टन पेलोड को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए 40 मंज़िला ऊँचाई वाला शक्तिशाली रॉकेट विकसित करने पर काम कर रहा है। इसरो के प्रोपल्शन और स्पेस सिस्टम प्रमुख वी. नारायणन ने यह जानकारी देते हुए कहा कि भारत अब उन विकसित देशों की कतार में खड़ा है जो अत्याधुनिक अंतरिक्ष तकनीक में अग्रणी हैं।
नारायणन के अनुसार, यह नया प्रक्षेपण यान भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को कई गुना बढ़ा देगा और भारी उपग्रहों तथा अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक निर्णायक बदलाव साबित होगा। उन्होंने बताया कि पिछले दो दशकों में भारत ने न केवल लागत प्रभावी प्रक्षेपण प्रणालियाँ विकसित कीं, बल्कि चंद्रमा और मंगल जैसे अभियानों में भी उल्लेखनीय सफलता हासिल की।
उन्होंने कहा, “आज भारत की तकनीकी क्षमता इस स्तर पर पहुँच चुकी है कि हम अंतरिक्ष में बड़े पेलोड भेजने में सक्षम हो रहे हैं और दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।”
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नारायणन ने भारत की घरेलू अंतरिक्ष यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा कि शुरूआती दौर में हमें विदेशी तकनीक और सहायता की आवश्यकता थी, लेकिन अब इसरो स्वदेशी अनुसंधान और नवाचार के दम पर वैश्विक मंच पर मजबूती से खड़ा है। इस महत्वाकांक्षी रॉकेट के पूरा होने के बाद भारत न केवल वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकेगा, बल्कि भविष्य के मानव मिशनों और गहरे अंतरिक्ष अभियानों की राह भी आसान होगी।
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