भारत ने मंगलवार (18 नवंबर 2026) को रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सरकार प्रमुखों की बैठक में आतंकवाद के प्रति वैश्विक स्तर पर “ज़ीरो टॉलरेंस” अपनाने की सख्त मांग दोहराई। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और इसके लिए कोई औचित्य या सफेदपोश ढंग (“whitewashing”) नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा, “भारत ने इसे बार-बार साबित किया है कि हमें अपने नागरिकों की सुरक्षा का अधिकार है और हम इसका इस्तेमाल करते रहेंगे।” जयशंकर ने यह भी कहा कि SCO को बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप स्वयं को ढालना चाहिए, व्यापक एजेंडा विकसित करना चाहिए और अपनी कार्यप्रणाली में संरचनात्मक सुधार करने चाहिए।
SCO की स्थापना 2001 में रूस, चीन, कज़ाख़स्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान द्वारा की गई थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने, जबकि 2023 में ईरान को भी स्थायी सदस्यता मिली।
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जयशंकर ने संगठन की मूल भावना की याद दिलाते हुए कहा कि SCO का प्रारंभिक उद्देश्य आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की तीन बुराइयों से लड़ना था। वर्तमान समय में ये खतरे और भी गंभीर हो गए हैं, इसलिए दुनिया को एकजुट होकर सख्त रुख अपनाना होगा।
उन्होंने वैश्विक आर्थिक अस्थिरता पर भी चिंता जताई और कहा कि सप्लाई चेन जोखिम बढ़ने के साथ-साथ मांग संबंधी जटिलताएं भी बढ़ रही हैं, इसलिए देशों को अपनी अर्थव्यवस्था को “डी-रिस्क” और विविधीकृत करने की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि यह प्रक्रिया तभी सफल होगी जब यह निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायसंगत हो। उन्होंने भारत द्वारा SCO देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को आगे बढ़ाने को भी महत्वपूर्ण बताया।
सांस्कृतिक और जन-स्तरीय सम्बन्धों पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि बौद्धिकों, कलाकारों, खिलाड़ियों और सांस्कृतिक प्रतिनिधियों के बीच संवाद बढ़ाना SCO देशों के बीच गहरी समझ और सहयोग को मजबूत करेगा।
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