जापान की राजनीति में बड़ा बदलाव आने की संभावना जताई जा रही है। प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने संकेत दिया है कि वे सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर बढ़ते मतभेदों और संभावित विभाजन को रोकने के लिए अपने पद से इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इस पर तत्काल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी के भीतर गुटबाजी और असहमति तेजी से बढ़ रही है। इशिबा, जो पहले से ही अपने साहसिक और कभी-कभी विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं, अब पार्टी को एकजुट रखने के लिए त्यागपत्र को ही विकल्प मान रहे हैं। उनके इस्तीफे की अटकलों ने जापानी राजनीति में हलचल मचा दी है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, हाल के महीनों में नीतिगत फैसलों और नेतृत्व शैली को लेकर इशिबा को पार्टी नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा है। उनकी नीतियों को लेकर युवा सांसदों और वरिष्ठ नेताओं के बीच गहरा मतभेद सामने आया है। इस स्थिति ने पार्टी की एकजुटता और सरकार की स्थिरता पर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।
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अगर इशिबा इस्तीफा देते हैं, तो पार्टी को नए नेता की तलाश करनी होगी, जिससे राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से विपक्ष को मजबूत होने का मौका मिल सकता है।
फिलहाल, जापानी जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय प्रधानमंत्री कार्यालय की आधिकारिक घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। यह फैसला न केवल जापान की आंतरिक राजनीति बल्कि वैश्विक स्तर पर उसकी स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है।
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