जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के साथ उनकी सरकार के संबंध सामान्य तौर पर ठीक हैं, लेकिन राज्यhood (राज्य का दर्जा) के मुद्दे पर मतभेद बने हुए हैं। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल (एल-जी) मनोज सिन्हा निर्वाचित सरकार के कामकाज में “अनावश्यक हस्तक्षेप” कर रहे हैं।
बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार का रुख उनकी सरकार के प्रति “काफी हद तक सकारात्मक” रहा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के सवाल पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सबसे बड़ी आपत्ति राज्यhood को लेकर है, जिसे लेकर केंद्र सरकार से लगातार बातचीत की जरूरत है।
उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि एल-जी का काम संवैधानिक दायरे में रहकर प्रशासन को सहयोग देना है, न कि एक चुनी हुई सरकार के फैसलों में हस्तक्षेप करना। उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में कई बार ऐसा महसूस होता है कि एल-जी निर्वाचित सरकार की शक्तियों को सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें “जम्मू-कश्मीर” और “केंद्र शासित प्रदेश” शब्दों को एक ही वाक्य में इस्तेमाल करने में असहजता महसूस होती है। उनके अनुसार, जम्मू-कश्मीर का इतिहास, पहचान और लोकतांत्रिक परंपरा इसे एक राज्य के रूप में देखने से जुड़ी रही है।
उमर अब्दुल्ला ने दोहराया कि उनकी सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए प्रतिबद्ध है और राज्यhood की बहाली उनकी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार भविष्य में इस मुद्दे पर सकारात्मक रुख अपनाएगी और जम्मू-कश्मीर को उसका लोकतांत्रिक दर्जा वापस मिलेगा।
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