उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा घाट पर जापानी पर्यटकों के साथ कथित बदसलूकी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद देशभर में तीखी बहस छिड़ गई है। यह घटना दशाश्वमेध घाट की बताई जा रही है, जहां जापान से आए पर्यटकों के एक समूह को उनके पहनावे और कथित “अशिष्ट व्यवहार” को लेकर स्थानीय लोगों ने घेर लिया और उनसे माफी मंगवाई।
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना 25 दिसंबर को हुई, जब जापानी पर्यटक सांता टोपी और लाल रंग के स्विमवेयर पहने हुए गंगा में स्नान की तैयारी कर रहे थे। इस दौरान कुछ स्थानीय लोगों ने उनके कपड़ों पर आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि वे गंगा नदी की पवित्रता का अपमान कर रहे हैं। वीडियो में यह भी दावा किया गया कि समूह के एक सदस्य पर नदी में पेशाब करने का आरोप लगाया गया, हालांकि इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।
वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि पर्यटकों को चारों ओर से घेर लिया गया और उनसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा गया। इस घटना ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कर दीं। कई यूजर्स ने सवाल उठाया कि वाराणसी जैसे आध्यात्मिक और बहुलतावादी पहचान वाले शहर में, जो हमेशा से विदेशी पर्यटकों का स्वागत करता रहा है, ऐसी घटनाएं पहले कभी देखने को नहीं मिलीं।
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विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उनका आरोप है कि यह घटना देश में बढ़ती “असहिष्णुता की संस्कृति” को दर्शाती है, जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार जिम्मेदार है। विपक्ष का कहना है कि ऐसे मामलों से भारत की वैश्विक छवि और पर्यटन पर नकारात्मक असर पड़ता है।
वहीं, कई सोशल मीडिया यूजर्स ने यह भी कहा कि धार्मिक स्थलों की मर्यादा का सम्मान सभी को करना चाहिए, लेकिन किसी भी सूरत में विदेशी मेहमानों के साथ दुर्व्यवहार स्वीकार्य नहीं है। इस घटना ने भारत में पर्यटन, धार्मिक आस्थाओं और अतिथि सत्कार की परंपरा को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
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