न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से जुड़े कथित नकदी प्रकरण को लेकर लोकसभा में एक अहम कदम उठाया गया। लोकसभा अध्यक्ष ने इस मामले की गहन जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने की घोषणा की है।
इस समिति में उच्च न्यायपालिका के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल किया गया है। समिति के सदस्य हैं – सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बी.वी. आचार्य।
लोकसभा अध्यक्ष के अनुसार, इस समिति का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका से जुड़े इस गंभीर मामले के तथ्यों की निष्पक्ष जांच करना है, जिससे न केवल सच सामने आए, बल्कि न्यायिक संस्थानों की गरिमा और जनता का भरोसा भी बरकरार रहे।
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सूत्रों के मुताबिक, न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं, जिनमें कथित रूप से बड़ी नकदी लेन-देन से जुड़े पहलू शामिल हैं। हालांकि, इस मामले में आधिकारिक तौर पर अभी तक किसी प्रकार का अंतिम निष्कर्ष नहीं निकला है।
समिति को निर्धारित समय सीमा में अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंपने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही तय की जाएगी।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में है, बल्कि इससे ऐसे मामलों में राजनीतिक और प्रशासनिक दखल से बचते हुए निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सकेगी।
यह मामला संसद और न्यायपालिका दोनों के लिए संवेदनशील माना जा रहा है और पूरे देश की निगाहें इस जांच के नतीजे पर टिकी हैं।
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