कर्नाटक ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए भारी नुकसान को देखते हुए एक ठोस रणनीति तैयार की है। वर्ष 2015 से 2021 के बीच राज्य को बाढ़, सूखा, भूस्खलन, चक्रवात और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से कुल मिलाकर ₹1.22 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा। अब राज्य सरकार ने इन नुकसानों को बड़े पैमाने पर कम करने के उद्देश्य से 2030 तक की स्पष्ट समयसीमा निर्धारित की है।
कर्नाटक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) ने ‘आपदा-रोधी कर्नाटक’ (Disaster-Resilient Karnataka) के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार किया है। इस योजना का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली जान-माल की क्षति और आर्थिक नुकसान को 75 प्रतिशत तक कम किया जाए।
रोडमैप के तहत आपदा पूर्व तैयारी, जोखिम आकलन, मजबूत बुनियादी ढांचे का विकास, समय पर चेतावनी प्रणाली और त्वरित राहत एवं पुनर्वास व्यवस्था पर विशेष जोर दिया गया है। इसके अलावा, बाढ़ और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान, जल निकासी व्यवस्था को मजबूत करना, सूखा प्रभावित इलाकों में जल संरक्षण तथा जल प्रबंधन परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
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केएसडीएमए के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था और आम नागरिकों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। इसी को ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन, वैज्ञानिक संस्थानों और समुदायों की भागीदारी से एक समन्वित रणनीति अपनाई जाएगी।
राज्य सरकार का मानना है कि इस रोडमैप के प्रभावी क्रियान्वयन से न केवल जान-माल की रक्षा होगी, बल्कि विकास परियोजनाओं पर पड़ने वाला आर्थिक दबाव भी कम होगा। कर्नाटक को भविष्य में अधिक सुरक्षित और आपदा-सक्षम राज्य बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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