करवा चौथ केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्यार और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दिन पति-पत्नी एक-दूसरे की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करते हुए व्रत रखते हैं। लेकिन आजकल यह त्योहार केवल महिलाओं तक सीमित नहीं रह गया है।
हमारी कहानी कुछ अलग है। हम दोनों, पति और पत्नी, साथ में व्रत रखते हैं। यह हमारी समझ और साझेदारी का प्रतीक है कि प्यार केवल एकतरफा नहीं होता। हमने निर्णय लिया कि इस करवा चौथ पर दोनों बराबरी से प्रतिबद्ध होंगे, न कि केवल पत्नी ही व्रत रखें।
इस दिन हम सुबह से ही एक-दूसरे का साथ देते हैं। हम पूजा और ध्यान दोनों में सहभागी होते हैं, साथ में फल और पानी ग्रहण करते हैं और सूर्यास्त के समय व्रत खोलते हैं। इस प्रक्रिया ने हमारे संबंध को और गहरा और मजबूत किया है।
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हमारा मानना है कि प्यार का सही अर्थ साझेदारी, समझ और परस्पर सम्मान में निहित है। जब हम साथ में व्रत रखते हैं, तो यह केवल परंपरा निभाने का तरीका नहीं होता, बल्कि यह हमारी समानता और प्रेम का प्रतीक बन जाता है।
करवा चौथ के इस अनुभव ने हमें यह सिखाया कि सच्चा प्यार केवल एकतरफा प्रयास नहीं, बल्कि दोनों की साझा मेहनत और सम्मान से खिलता है। यह दिन हमारे रिश्ते में एक नई ऊर्जा और उत्साह भरता है।
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