लद्दाख में लंबे समय से चल रही राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण की मांग एक नए मोड़ पर पहुँच गई है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने लेह एपेक्स बॉडी के साथ मिलकर उपवास आंदोलन शुरू किया है।
वांगचुक ने घोषणा की है कि यह उपवास 35 दिनों तक चलेगा और इसका उद्देश्य लद्दाख की जनता की आवाज़ को राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाना है। उन्होंने कहा कि गांधी जयंती (2 अक्टूबर) इस आंदोलन का एक "महत्वपूर्ण मील का पत्थर" होगी और इस दिन जनता की ताकत को प्रदर्शित किया जाएगा।
लद्दाख के लोग लंबे समय से राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची के तहत संरक्षण और रोज़गार एवं भूमि अधिकारों की गारंटी की मांग कर रहे हैं। स्थानीय संगठनों का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद क्षेत्र के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अधिकार खतरे में हैं।
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लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस जैसे संगठनों ने भी इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। उनका कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द लद्दाख के भविष्य पर स्पष्ट और ठोस कदम उठाने चाहिए।
सोनम वांगचुक ने कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह अहिंसक और गांधीवादी तरीकों से होगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे शांतिपूर्ण ढंग से अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें और एकजुट होकर लद्दाख के अधिकारों की लड़ाई लड़ें।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह आंदोलन लंबे समय तक चलता है तो यह केंद्र सरकार पर राजनीतिक और सामाजिक दबाव बना सकता है। फिलहाल, केंद्र ने इस मामले पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है, जिससे स्थानीय असंतोष और गहराता जा रहा है।
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