संसद के शीतकालीन सत्र के 12वें दिन मंगलवार को लोकसभा ने द रिपीलिंग एंड अमेंडिंग बिल, 2025 पारित कर दिया। इस विधेयक के जरिए 71 पुराने और अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने तथा चार अधिनियमों में संशोधन का प्रावधान किया गया है। सरकार का कहना है कि इन कानूनों की अब कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई थी और ये केवल कानूनी ढांचे को बोझिल बना रहे थे।
विधेयक को पेश करते हुए कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सरकार लगातार ऐसे कानूनों की पहचान कर रही है, जो समय के साथ अप्रासंगिक हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद अब तक 1,562 पुराने कानूनों को समाप्त किया जा चुका है और 15 कानूनों में संशोधन किया गया है। मेघवाल के अनुसार, यह पहल औपनिवेशिक दौर की कानूनी विरासत को खत्म करने और आधुनिक भारत की जरूरतों के अनुरूप कानून व्यवस्था को सरल बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है।
हालांकि, विपक्ष ने इस विधेयक पर आपत्ति जताई। विपक्षी सदस्यों का कहना था कि सरकार केवल पुराने ही नहीं, बल्कि कुछ ऐसे कानूनों को भी रद्द कर रही है, जो हाल के वर्षों में बनाए गए थे और जिनकी उपयोगिता अभी समाप्त नहीं हुई है। विपक्ष ने आशंका जताई कि इस प्रक्रिया में जरूरी कानूनों को भी बिना पर्याप्त चर्चा के हटाया जा सकता है।
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विपक्षी नेताओं ने यह भी मांग की कि कानूनों को रद्द करने से पहले संसद में विस्तृत बहस होनी चाहिए और यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि किन परिस्थितियों में किसी कानून को अप्रचलित माना गया है। उनका कहना था कि कानूनों को खत्म करने की प्रक्रिया पारदर्शी और सर्वसम्मति आधारित होनी चाहिए।
सरकार ने विपक्ष की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि सभी कानूनों की गहन समीक्षा के बाद ही उन्हें रद्द करने का फैसला लिया गया है। सरकार के अनुसार, यह विधेयक कानूनी सुधारों की निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य नागरिकों और संस्थाओं के लिए कानूनों को सरल, प्रभावी और समयानुकूल बनाना है।
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