मद्रास हाईकोर्ट ने मदुरई अधीनम के विवादित बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि तमिलनाडु के लोग इतने भोले नहीं हैं कि वे ऐसे "अनावश्यक" टिप्पणियों से आसानी से भड़क जाएं। न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि भले ही साधु ने अतिरंजित बयान दिए हों, लेकिन यह देखना जरूरी है कि क्या यह आपराधिक मुकदमे का आधार बनता है।
यह मामला तब सामने आया जब मदुरई अधीनम के एक साधु ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से कुछ विवादित टिप्पणियां कीं, जिसके बाद उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि ये बयान लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले थे और राज्य में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकते थे।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति की अतिरंजित या अनावश्यक टिप्पणियां हर बार आपराधिक कार्रवाई का कारण नहीं बन सकतीं। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि तमिलनाडु के लोग शिक्षित और समझदार हैं तथा ऐसे बयानों से आसानी से उकसाए नहीं जा सकते।
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न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे बयान समाज में असामंजस्य न फैलाएं। अदालत ने मामले की जांच जारी रखते हुए कहा कि यह देखना होगा कि क्या साधु की टिप्पणियां वास्तव में कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह टिप्पणी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आपराधिक अभियोजन के बीच संतुलन बनाए रखने में मददगार साबित होगी।
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