मद्रास विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में हुए परीक्षा विवाद पर मद्रास हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए व्यापक आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। यह मामला तब सामने आया जब विभागाध्यक्ष ने सक्षम प्राधिकरण से पूर्व अनुमोदन लिए बिना स्वयं परीक्षा आयोजित की।
न्यायमूर्ति सी. कुमारप्पन ने सुनवाई के दौरान कहा कि किसी विभागाध्यक्ष द्वारा बिना विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के परीक्षा आयोजित करना गंभीर मामला है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। अदालत ने विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया है कि इस पूरे मामले की गहन जांच कर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
अदालत ने यह भी कहा कि इस प्रकार की अनधिकृत गतिविधियां न केवल विश्वविद्यालय की साख को प्रभावित करती हैं बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी नकारात्मक असर डाल सकती हैं। न्यायमूर्ति कुमारप्पन ने जोर देकर कहा कि विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और वैधानिक नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए।
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विश्वविद्यालय प्रशासन ने अदालत को आश्वासन दिया कि एक आंतरिक समिति गठित की जाएगी जो इस मामले की विस्तृत जांच करेगी। समिति परीक्षा आयोजित करने की प्रक्रिया, अनुमोदन की कमी और संबंधित जिम्मेदारियों की पहचान करेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम विश्वविद्यालयों में प्रशासनिक अनुशासन को मजबूत करेगा और भविष्य में इस तरह की अनधिकृत गतिविधियों को रोकने में मदद करेगा।
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