महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी यदि सार्वजनिक रूप से सरकारी नीतियों या निर्णयों की आलोचना करता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों के अनुसार, यह कदम सरकारी सेवाओं में अनुशासन बनाए रखने और प्रशासनिक कामकाज में पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी सोशल मीडिया, प्रेस या किसी सार्वजनिक मंच पर सरकार की नीतियों या निर्णयों के खिलाफ बयानबाजी नहीं कर सकते।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में संबंधित विभाग कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे। अनुशासनात्मक कदमों में चेतावनी, निलंबन या अन्य प्रशासनिक दंड शामिल हो सकते हैं।
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इन नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी कर्मचारी सरकारी नीतियों के खिलाफ कोई नकारात्मक संदेश न फैलाएं, जिससे शासन की छवि और नीति-निर्माण प्रक्रिया प्रभावित हो।
हालांकि, कुछ कर्मचारी संगठनों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को सीमित करता है। उनका कहना है कि कर्मचारियों को सरकार की नीतियों पर रचनात्मक प्रतिक्रिया देने का अधिकार होना चाहिए।
महाराष्ट्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कदम प्रशासनिक अनुशासन के लिए है और नीति निर्माण में बाधा डालने या सरकारी छवि खराब करने वाले मामलों में ही कार्रवाई की जाएगी।
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