मराठा आरक्षण आंदोलन के तहत नेता जारंगे की भूख हड़ताल आज तीसरे दिन में प्रवेश कर गई है। उनका यह विरोध तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र सरकार के साथ बातचीत से कोई समाधान नहीं निकल पाया। जारंगे ने सरकार के रवैये की कड़ी आलोचना की।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आरक्षण प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संदीप शिंदे को जारंगे से वार्ता करने भेजा था। जारंगे ने इस कदम को खारिज करते हुए कहा कि यह प्रतिनिधित्व उनके मुद्दों को हल करने के लिए पर्याप्त नहीं है। उनका कहना था कि केवल समिति के अध्यक्ष से बातचीत से वास्तविक समाधान नहीं निकलेगा और सरकार को सीधे उनके साथ वार्ता करनी चाहिए।
जारंगे ने इस आंदोलन के माध्यम से मराठा समुदाय के आरक्षण के अधिकार और उनकी मांगों को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि सरकार को अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे आंदोलन और तेज हुआ है। भूख हड़ताल के तीसरे दिन उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है, क्योंकि आंदोलन लंबे समय तक जारी रहने से सामाजिक और राजनीतिक दबाव बढ़ सकता है। सरकार और आंदोलनकारियों के बीच सीधे संवाद की कमी स्थिति को और जटिल बना रही है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मराठा आरक्षण आंदोलन का समाधान जल्दी नहीं हुआ तो यह महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य और आगामी चुनावों पर भी असर डाल सकता है।
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