रतन टाटा के सबसे विश्वसनीय सहयोगियों में से एक माने जाने वाले मेहली मिस्त्री को मंगलवार (28 अक्टूबर) को टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड से हटा दिया गया। टाटा ट्रस्ट्स के दो प्रमुख बोर्ड — सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट — के पुनर्नियुक्ति प्रस्ताव पर वोटिंग में अधिकांश ट्रस्टियों ने उनके खिलाफ मतदान किया।
इस निर्णय के बाद मिस्त्री अब ट्रस्ट्स के संचालन बोर्ड से हटने वाले हैं, जिससे उनके शांत लेकिन प्रभावशाली कार्यकाल का एक युग समाप्त हो गया है। टाटा ट्रस्ट्स का समूह टाटा संस में लगभग 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है, जो देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूहों में से एक है।
मेहली मिस्त्री को लंबे समय से रतन टाटा का ‘साइलेंट स्ट्रेटेजिस्ट’ कहा जाता है। वे मीडिया की सुर्खियों से दूर रहते हैं, न तो कोई इंटरव्यू देते हैं और न ही किसी कॉर्पोरेट समारोह में अक्सर दिखाई देते हैं। टाटा समूह के अंदरूनी मामलों में उनकी भूमिका रणनीतिक और गोपनीय मानी जाती रही है।
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सूत्रों के अनुसार, टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा, टीव्हीएस ग्रुप के चेयरमैन वेनु श्रीनिवासन और पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह ने उनके पुनर्नियुक्ति का विरोध किया।
यह निर्णय न केवल संगठनात्मक स्तर पर बदलाव का संकेत है, बल्कि टाटा ट्रस्ट्स के भविष्य के नेतृत्व की दिशा भी तय कर सकता है।
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