केरल में अनुसंधानकर्ताओं ने एक उल्लेखनीय खोज की है। क्राइस्ट कॉलेज के वैज्ञानिकों ने पहली बार राज्य में एकाकी मधुमक्खियों (Solitary Bees) की नौ नई प्रजातियों की पहचान की है। यह खोज न केवल कीट विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
एकाकी मधुमक्खियाँ शहद के छत्ते में नहीं रहतीं, बल्कि अकेले ही घोंसला बनाकर परागण का कार्य करती हैं। ये दुर्लभ परागणकर्ता फसलों की उपज बढ़ाने और जैव विविधता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, इन प्रजातियों का अब तक दस्तावेजीकरण नहीं किया गया था, जिससे केरल के पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में नई जानकारी सामने आई है।
क्राइस्ट कॉलेज की शोध टीम ने बताया कि अध्ययन के दौरान उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों से नमूने एकत्र किए और सावधानीपूर्वक उनकी पहचान की। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोज दर्शाती है कि केरल के वनों और ग्रामीण इलाकों में अब भी अदृश्य कीट प्रजातियाँ मौजूद हैं जिन्हें संरक्षण की आवश्यकता है।
और पढ़ें: स्वतंत्रता दिवस भाषण में आरएसएस की प्रशंसा कर शहीदों की स्मृति का अपमान किया: सीपीआई(एम)
विशेषज्ञों के अनुसार, एकाकी मधुमक्खियाँ जलवायु परिवर्तन और आवास क्षरण के कारण तेजी से संकट में आ रही हैं। इसलिए इस खोज से उनके संरक्षण के लिए वैज्ञानिक और नीतिगत प्रयासों को दिशा मिलेगी। शोधकर्ताओं ने यह भी संकेत दिया है कि भविष्य में और भी प्रजातियाँ खोजी जा सकती हैं, बशर्ते इनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा की जाए।
और पढ़ें: वैश्विक मामलों में भारत की योग्य प्रतिष्ठा की पुतिन ने सराहना, रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने पर जोर