बिहार की राजनीति में एक बड़े बदलाव के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में पहली बार गृह विभाग सहित कई महत्वपूर्ण मंत्रालय भाजपा को सौंप दिए हैं। लगभग 20 वर्षों में यह पहली बार हुआ है कि मुख्यमंत्री स्वयं गृह विभाग नहीं संभाल रहे हैं। हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जिसके बाद मंत्रिमंडल में उसके प्रभाव में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।
शुक्रवार (21 नवंबर 2025) को मुख्यमंत्री ने 26 मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा किया। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, नई मंत्रिपरिषद में शामिल 46% मंत्री आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं, जबकि 88% मंत्री करोड़पति हैं। यह आंकड़े राज्य की राजनीति की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर एक बार फिर सवाल खड़े करते हैं।
गृह विभाग अब उपमुख्यमंत्री के पास होगा, जबकि स्वास्थ्य, कृषि, राजस्व, भूमि सुधार, खान एवं उद्योग जैसे बड़े मंत्रालय भी भाजपा के हिस्से में गए हैं। माना जा रहा है कि भाजपा को दिए गए इन महत्वपूर्ण विभागों से दोनों दलों के बीच सत्ता संतुलन का नया समीकरण तैयार होगा।
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नीतीश कुमार के इस निर्णय को पार्टी सहयोगियों को मजबूत करने और सरकार को स्थिर बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी ओर, विपक्ष ने आरोप लगाया है कि राज्य के प्रमुख विभाग ऐसे नेताओं को सौंपे जा रहे हैं जो गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी हैं।
हालांकि सत्ता पक्ष का कहना है कि विभागों का बंटवारा अनुभवी नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमता को ध्यान में रखकर किया गया है। बिहार में नई राजनीतिक संरचना आने वाले समय में राज्य की नीतियों और शासन प्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
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