मुंबई में 26 नवंबर, 2025 को आयोजित एक कार्यक्रम में, आरबीआई की उप-गवर्नर पूनम गुप्ता ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय बैंक की मुद्रास्फीति पूर्वानुमान में कोई प्रणालीगत पक्षपात नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्वानुमान त्रुटियों को कम करना महत्वपूर्ण है, ताकि नीति निर्धारण और आर्थिक योजना अधिक सटीक हो सके।
गुप्ता ने कहा, "पूर्वानुमान त्रुटियों को कम करना उतना ही महत्वपूर्ण है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि आरबीआई का पूर्वानुमान किसी विशेष तरीके से पक्षपाती है। हम विकास दर और मुद्रास्फीति के आंकड़ों के लिए विभिन्न दृष्टिकोण और मॉडल का उपयोग करते हैं।"
कार्यक्रम भारतीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार वर्ष में किए गए संशोधन को समझाने के लिए प्रमुख बैंक अर्थशास्त्रियों सहित विभिन्न हितधारकों से परामर्श किया गया। CPI सूचकांक खुदरा मूल्य स्तरों का मापन करता है और इसका आधार वर्ष समय-समय पर अद्यतन किया जाता है ताकि मुद्रास्फीति और आर्थिक गतिविधियों का सही आकलन हो सके।
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पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नीतिगत निर्णय और आर्थिक योजना बनाने में सटीक आंकड़ों का उपयोग किया जा सके। पूनम गुप्ता ने कहा कि नई प्रणाली और विभिन्न मॉडल का इस्तेमाल करके केंद्रीय बैंक अधिक भरोसेमंद और सटीक पूर्वानुमान प्रदान कर रहा है, जो नीति निर्माताओं, वित्तीय संस्थानों और व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी होगा।
आरबीआई के पूर्वानुमान पर आधारित निर्णय आर्थिक स्थिरता बनाए रखने, महंगाई नियंत्रण, और निवेशकों तथा आम जनता को विश्वास दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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