कानून मंत्री ने राज्यसभा में स्पष्ट किया कि चुनावी सूची में ‘संदिग्ध वोटर’ नामक कोई श्रेणी मौजूद नहीं है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ राजनीतिक दलों ने मतदाता सूचियों में संदिग्ध नामों और आधार कार्ड से जुड़ाव पर सवाल उठाए थे।
कानून मंत्रालय की ओर से चुनाव आयोग (ईसीआई) के हवाले से बताया गया कि आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र (इलेक्टोरल फोटो आईडी कार्ड) से जोड़ने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। चुनाव आयोग का कहना है कि फिलहाल ऐसा कोई सिस्टम लागू नहीं किया गया है जिसके तहत मतदाताओं को ‘संदिग्ध’ करार दिया जा सके।
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने का काम पूरी तरह से निर्धारित नियमों और सत्यापन प्रक्रिया के तहत होता है। प्रत्येक राज्य और जिला स्तर पर चुनावी अधिकारी नामांकन, सत्यापन और मतदाता पहचान को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
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विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि आधार कार्ड लिंकिंग के नाम पर कुछ वैध मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए जा सकते हैं या उन्हें ‘संदिग्ध’ श्रेणी में रखा जा सकता है। इस पर जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि ऐसी कोई श्रेणी न तो चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों में है और न ही किसी कानून में।
सरकार ने आश्वासन दिया कि किसी भी मतदाता के अधिकारों का हनन नहीं होगा और चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी तथा निष्पक्ष रूप से जारी रहेगी।
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