नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालिम (इसाक-मुइवा) [NSCN(I-M)] ने शांति समझौते की दसवीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार पर समझौते को लागू करने में जानबूझकर देरी का आरोप लगाया। संगठन के अध्यक्ष क्यू. तुच्चू ने कहा कि विभिन्न बहानों से फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर प्रगति धीमी की जा रही है, जिससे यह ‘एग्रीड पोजीशन’ से बिल्कुल अलग हो गया है।
तुच्चू ने कहा कि शांति वार्ता का उद्देश्य स्थायी समाधान निकालना है, लेकिन केंद्र की धीमी गति ने इस प्रक्रिया को प्रभावित किया है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि प्रतिद्वंद्वी समूहों के साथ समानांतर रूप से काम करना खतरनाक है और इससे क्षेत्र में शांति स्थापित करने के प्रयास कमजोर हो सकते हैं।
2015 में केंद्र सरकार और NSCN(I-M) के बीच फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका उद्देश्य दशकों से चले आ रहे नागा राजनीतिक मुद्दे का समाधान करना था। हालांकि, NSCN(I-M) का कहना है कि समझौते की भावना के विपरीत कई शर्तें रखी जा रही हैं और असली मुद्दों को सुलझाने में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
और पढ़ें: निकोबारी जनजाति के 140 लोग अंडमान पुलिस में होंगे शामिल
संगठन ने कहा कि नागा जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समझौते को सही तरीके से लागू करना जरूरी है। NSCN(I-M) ने केंद्र से आग्रह किया कि वह राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए सभी विवादित मुद्दों को हल करे और प्रतिद्वंद्वी समूहों के साथ असंगत सहयोग से बचते हुए शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाए।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह गतिरोध जारी रहा तो नागालैंड में शांति बहाली की प्रक्रिया और लंबी खिंच सकती है।
और पढ़ें: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एसयूवी खाई में गिरी, दो की मौत, तीन घायल