महानदी जल विवाद को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ सरकारों ने इसे आपसी समझौते और सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने की इच्छा जताई है। इस मामले में महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण (MWDT), जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कर रहे हैं, ने दोनों राज्यों को निर्देश दिया है कि वे 6 सितंबर को चल रही सुलह वार्ताओं की प्रगति के बारे में जानकारी दें।
न्यायाधिकरण के समक्ष हुई सुनवाई में दोनों राज्यों ने माना कि विवाद को अदालतों के बजाय संवाद और बातचीत के माध्यम से हल करना सभी पक्षों के लिए बेहतर होगा। यह विवाद मुख्य रूप से जल बंटवारे और बांधों के निर्माण को लेकर है, जिससे ओडिशा को बार-बार पानी की कमी का सामना करना पड़ता है।
MWDT ने कहा कि यदि दोनों राज्य आपसी सहमति से समाधान निकालते हैं तो यह क्षेत्रीय सहयोग और जल संसाधन प्रबंधन के लिए एक सकारात्मक उदाहरण होगा। न्यायाधिकरण ने स्पष्ट किया कि अदालत के हस्तक्षेप के बजाय संवाद से स्थायी समाधान की संभावना अधिक है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस विवाद का हल निकलने से कृषि, उद्योग और जलापूर्ति पर सकारात्मक असर पड़ेगा और दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से चली आ रही तनातनी भी खत्म होगी।
दोनों राज्यों ने न्यायाधिकरण को आश्वस्त किया है कि वे वार्ता प्रक्रिया को तेज करेंगे और जल संसाधनों के न्यायसंगत बंटवारे के लिए व्यवहारिक समाधान खोजेंगे।
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