22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शामिल तीन पाकिस्तानी आतंकियों की पहचान लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य के रूप में हुई है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, ये आतंकी लगभग तीन साल पहले पाकिस्तान से भारत में घुसे थे और घाटी में सक्रिय रहे।
इन आतंकियों के नाम सुलैमान उर्फ फैज़ल जट्ट, हमजा अफगानी और ज़िबरान बताए गए हैं। ये आतंकवादी "अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी वायरलेस सेट्स" का इस्तेमाल कर सीमापार अपने मददगारों और अन्य ऑपरेटिव्स से संपर्क में रहते थे। सुरक्षाबलों ने इस हमले के बाद बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया और इन तीनों आतंकियों को कश्मीर घाटी के डाचीगाम क्षेत्र में मुठभेड़ में ढेर कर दिया।
अधिकारियों का कहना है कि तीनों आतंकी लंबे समय से भारत में छिपे हुए थे और स्थानीय नेटवर्क की मदद से सक्रियता बनाए रखी थी। उनकी घुसपैठ की जानकारी खुफिया एजेंसियों के पास पहले से नहीं थी। इस घटना के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है।
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इसी बीच, संयुक्त राष्ट्र में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष को खत्म करने के लिए दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया गया। विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने कहा कि स्थायी शांति के लिए स्वतंत्र फिलिस्तीन और इज़रायल का सहअस्तित्व जरूरी है। सम्मेलन में युद्धविराम और मानवीय सहायता बढ़ाने की भी अपील की गई।
इन दोनों घटनाओं ने एक बार फिर सीमा-पार आतंकवाद और वैश्विक शांति प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर दिया है।
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