संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की मॉनिटरिंग टीम ने अपनी ताजा रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की भूमिका पर संकेत दिया है।
रिपोर्ट में एक अनाम सदस्य राष्ट्र के हवाले से कहा गया है कि यह आतंकी हमला लश्कर-ए-तैयबा के समर्थन के बिना संभव नहीं था। यह संगठन लंबे समय से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है और टीआरएफ को भी समर्थन प्रदान करता है।
टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा संगठन माना जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने और स्थानीय आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टीआरएफ हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है।
और पढ़ें: मोटोरोला ने भारत में लॉन्च किया मोटो G86 पावर, 32MP सेल्फी कैमरा और 4K वीडियो रिकॉर्डिंग फीचर के साथ
मॉनिटरिंग टीम ने यह भी बताया कि सीमा पार से आतंकियों को समर्थन, प्रशिक्षण और हथियार मुहैया कराए जाते हैं। इस हमले में इस्तेमाल किए गए हथियार और संचार उपकरण भी पाकिस्तान से जुड़े नेटवर्क से प्राप्त हुए थे।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस रिपोर्ट के बाद पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को समर्थन बंद करने का दबाव बढ़ाया है। भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र से मांग की है कि लश्कर-ए-तैयबा और उसके सहयोगी संगठनों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
और पढ़ें: माइक्रोसॉफ्ट ने सेवाएं बहाल कीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने नायरा एनर्जी की याचिका की सुनवाई बंद की