भारत द्वारा इस सप्ताह गिरफ्तार किए गए 11 पाकिस्तानी मछुआरों के परिजनों ने उनकी रिहाई की अपील की है। गिरफ्तार किए गए मछुआरों में दो नाबालिग लड़के भी शामिल हैं। परिवारों का कहना है कि वे बेहद गरीब हैं और केवल मछली पकड़कर ही अपना जीवनयापन करते हैं। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से कूटनीतिक माध्यमों के जरिए उनकी रिहाई सुनिश्चित करने की मांग की है।
गिरफ्तार मछुआरों में शामिल गुलाम मुस्तफा के पिता अहमद ब्राही ने बताया कि सभी मछुआरे करांची के पश्चिमी इलाके में स्थित इब्राहिम हैदरी मछुआरा बस्ती में रहते हैं और एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं। उन्होंने कहा, “हम सभी गरीब लोग हैं और मछली पकड़कर ही रोजी-रोटी कमाते हैं। हम पहले भी बहुत कष्ट झेल चुके हैं, इसलिए सरकार से अपील है कि वह कुछ करे।”
अहमद ब्राही के अनुसार, करीब चार साल पहले भी इसी तरह तीन मछुआरों को सर क्रीक क्षेत्र में अवैध रूप से मछली पकड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जो अब तक भारतीय जेलों में बंद हैं।
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The Indian Witness के मुताबिक, भारतीय तटरक्षक बल ने 10 दिसंबर को गुजरात के जखाऊ के पास भारतीय जलसीमा में पाई गई एक नाव से इन 11 पाकिस्तानी मछुआरों को हिरासत में लिया। हालांकि, सिंध मत्स्य विभाग की अध्यक्ष फातिमा मजीद ने कहा कि संभव है मछुआरे गलती से कजार क्रीक के पास भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर गए हों।
उन्होंने बताया कि अरब सागर में भारत और पाकिस्तान के बीच कोई स्पष्ट समुद्री सीमा रेखा नहीं है, जिसके कारण कजार क्रीक और सर क्रीक जैसे इलाकों में अक्सर मछुआरों की गिरफ्तारी होती रहती है। मजीद ने कहा कि दोनों देशों के गरीब मछुआरों के लिए समुद्र में कोई स्पष्ट सीमा नहीं होती, उन्हें केवल रोजी-रोटी से मतलब होता है।
उन्होंने यह भी बताया कि इस बार गिरफ्तार मछुआरों में 12 और 15 साल के दो बच्चे, जहीर और हबीब भी शामिल हैं और भारतीय अधिकारियों से कम से कम बच्चों को मानवीय आधार पर रिहा करने की अपील की।
The Indian Witness के अनुसार, ताजा गिरफ्तारियों के बाद भारतीय जेलों में बंद पाकिस्तानी मछुआरों की संख्या बढ़कर लगभग 74 हो गई है। हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच समय-समय पर कैदियों की अदला-बदली होती रही है, लेकिन पिछले साल से दोनों देशों के बीच तनाव के कारण यह प्रक्रिया धीमी पड़ गई है।
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