संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, वैसे ही कुछ ही मिनटों के भीतर लोकसभा और राज्यसभा दोनों को हंगामे के कारण दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
लोकसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे आरंभ हुई, लेकिन विपक्षी दलों के सांसदों ने विभिन्न मुद्दों पर हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे की वजह से अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही को दोपहर तक स्थगित कर दिया। उधर, राज्यसभा में भी विपक्ष ने तत्कालीन मुद्दों पर चर्चा की मांग की, जिससे उपसभापति को सदन स्थगित करने का निर्णय लेना पड़ा।
संसद के भीतर यह गतिरोध विपक्ष और सरकार के बीच चल रहे तनाव को दर्शाता है। विपक्षी पार्टियाँ महंगाई, बेरोजगारी, राष्ट्रपति व राज्यपाल की शक्तियों को लेकर न्यायिक समीक्षा, और उपराष्ट्रपति जगदीप धानखड़ के अचानक इस्तीफे जैसे मामलों पर विस्तृत चर्चा की मांग कर रही हैं।
सरकार की ओर से मानसून सत्र के दौरान कई विधेयक पेश किए जाने हैं, जिनमें कुछ आर्थिक सुधारों से संबंधित हैं। लेकिन सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित होने के कारण इन पर चर्चा आरंभ नहीं हो सकी है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह गतिरोध आगे भी जारी रहा, तो पूरे मानसून सत्र की कार्यवाही बाधित हो सकती है। सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए दोनों पक्षों को संवाद और समझौते का रास्ता अपनाना होगा।