एक साथ चुनाव (Simultaneous Elections) पर विचार कर रही संसदीय समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समय सीमा में विस्तार दिया गया है। लोकसभा में पारित एक प्रस्ताव के अनुसार, अब इस समिति को शीतकालीन सत्र 2025 के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट पेश करने का समय मिलेगा।
पहले यह समिति निर्धारित समयसीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली थी, लेकिन विषय की व्यापकता और जटिलता को देखते हुए इसे अधिक समय देने की आवश्यकता महसूस की गई। समिति विभिन्न राजनीतिक दलों, विशेषज्ञों और राज्यों से सुझाव और राय ले रही है, ताकि प्रस्तावित एक साथ चुनाव प्रणाली के सभी पहलुओं पर विस्तृत विचार किया जा सके।
एक साथ चुनाव का विचार लंबे समय से भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय रहा है। इसका उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित कराकर चुनावी खर्च और प्रशासनिक बोझ को कम करना है। समर्थकों का मानना है कि इससे शासन में निरंतरता बनी रहेगी और बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों पर पड़ने वाला असर घटेगा। वहीं, आलोचकों का कहना है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण और संघीय ढांचे वाले देश में यह व्यवस्था लागू करना व्यावहारिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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समिति अब तक कई दौर की बैठकें कर चुकी है और इस दौरान विधि विशेषज्ञों, चुनाव आयोग और अन्य संबंधित संस्थाओं से भी विस्तृत प्रस्तुतियाँ ली हैं। समय विस्तार से समिति को और गहराई से अध्ययन करने और सभी संभावित चुनौतियों तथा समाधानों को रिपोर्ट में शामिल करने का अवसर मिलेगा।
सरकार को उम्मीद है कि समिति की अंतिम रिपोर्ट भविष्य में चुनाव सुधारों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी।
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