भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक अध्ययन में पाया गया है कि नियमित और उच्च स्तर की शारीरिक गतिविधि स्तन कैंसर के खतरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अध्ययन के अनुसार, भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के जोखिम को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में उम्र, मोटापा, प्रजनन से जुड़े पहलू, हार्मोनल प्रभाव और पारिवारिक इतिहास शामिल हैं।
अध्ययन में यह सामने आया कि 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर होने की संभावना लगभग तीन गुना अधिक होती है। इसके अलावा, केंद्रीय मोटापा यानी पेट के आसपास जमा चर्बी को भी स्तन कैंसर के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि शारीरिक निष्क्रियता और बढ़ता मोटापा महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि जिन महिलाओं ने दो से अधिक बार गर्भपात कराया है, उनमें स्तन कैंसर का जोखिम उन महिलाओं की तुलना में अधिक पाया गया, जिन्होंने कभी गर्भपात नहीं कराया। हालांकि, स्तनपान की अवधि और मौखिक गर्भनिरोधक गोलियों (ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव्स) के उपयोग का स्तन कैंसर के जोखिम से कोई महत्वपूर्ण संबंध नहीं पाया गया।
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अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि जीवनशैली में सुधार, विशेष रूप से नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और स्वस्थ वजन बनाए रखना, स्तन कैंसर की रोकथाम में सहायक हो सकता है। साथ ही, बढ़ती उम्र की महिलाओं और जिनका पारिवारिक इतिहास रहा है, उन्हें नियमित जांच और जागरूकता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
यह अध्ययन भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के जोखिम कारकों को समझने और रोकथाम की रणनीतियों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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