चुनाव आयोग द्वारा 12 राज्यों में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की घोषणा के बाद, राजनीतिक हलकों में विवाद तेज हो गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंगलवार को कहा कि चुनाव आयोग को इस निर्णय से पीछे हटना चाहिए, क्योंकि यह संस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। उन्होंने कहा कि “चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं को केंद्र में सत्तारूढ़ दल की कठपुतली नहीं बनने देना चाहिए।”
विजयन ने आरोप लगाया कि यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की दिशा में है और इससे मतदाता सूची की निष्पक्षता पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों में बदलाव या पुनरीक्षण जैसे संवेदनशील मामलों में राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए।
दूसरी ओर, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने भी केंद्र और चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस प्रक्रिया के जरिए लाखों मतदाताओं को सूची से बाहर करने की “साजिश” रच रही है। स्टालिन ने कहा कि SIR प्रक्रिया का उद्देश्य कई सामाजिक वर्गों, विशेष रूप से वंचित और ग्रामीण मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना है।
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उन्होंने इस मुद्दे पर 2 नवंबर को सभी दलों की बैठक बुलाने की घोषणा की, ताकि इस विषय पर एकजुट होकर केंद्र के खिलाफ रणनीति तैयार की जा सके।
दोनों मुख्यमंत्रियों ने कहा कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता लोकतंत्र की आत्मा है, और उसके निर्णय किसी भी राजनीतिक दबाव से मुक्त होने चाहिए।
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