संयुक्त राष्ट्र की ओर से आयोजित प्लास्टिक प्रदूषण पर वैश्विक संधि बनाने की वार्ता किसी ठोस समझौते के बिना समाप्त हो गई। जिनेवा स्थित यूएन पैले डेस नेशंस में बंद कमरे में चली इन चर्चाओं के बाद देशों के प्रतिनिधि मुख्य सभा कक्ष में एकत्र हुए और आगे की राह पर विचार-विमर्श किया।
वार्ता का उद्देश्य एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि तैयार करना था, जिससे प्लास्टिक कचरे और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए स्पष्ट लक्ष्य और नियम तय हो सकें। हालांकि, विकसित और विकासशील देशों के बीच जिम्मेदारियों के बंटवारे, वित्तीय सहायता और उत्पादन कटौती जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बन सकी।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह संधि समय पर नहीं बनी तो प्लास्टिक प्रदूषण संकट और गंभीर हो सकता है। वर्तमान में हर वर्ष करोड़ों टन प्लास्टिक कचरा नदियों, महासागरों और जमीन में पहुंच रहा है, जिससे समुद्री जीवन और मानव स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
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बैठक में शामिल प्रतिनिधियों ने माना कि अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है, लेकिन वार्ता जारी रखी जाएगी। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों का कहना है कि अगली बैठक में देशों को अपने रुख में लचीलापन दिखाना होगा, तभी कोई ठोस परिणाम निकल सकेगा।
कई पर्यावरण समूहों ने इस गतिरोध पर निराशा व्यक्त की और चेतावनी दी कि राजनीतिक हिचकिचाहट वैश्विक पर्यावरणीय संकट को और बढ़ा सकती है।
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