प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन की यात्रा समाप्त कर स्वदेश लौटने से पहले इसे “उपजाऊ और सार्थक” बताया। यह दौरा उनके दो देशों के भ्रमण के अंतिम चरण में हुआ। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखते हुए कहा कि चीन के तियानजिन शहर में उन्होंने भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया और वैश्विक महत्त्व के मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया।
मोदी ने कहा कि यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का अवसर था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग और संवाद के नए रास्ते खोलने का भी मंच बना। उन्होंने विशेष रूप से आर्थिक सहयोग, वैश्विक शांति और सुरक्षा, और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर भारत की प्राथमिकताओं को सामने रखा।
प्रधानमंत्री की इस यात्रा को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत और चीन के बीच संवाद के नए अवसर प्रदान करेगी, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक परिदृश्य में भू-राजनीतिक चुनौतियाँ बढ़ रही हैं। तियानजिन में आयोजित कार्यक्रमों और बैठकों में मोदी ने विभिन्न वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका और जिम्मेदारियों को रेखांकित किया।
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भारत-चीन संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के साथ यह दौरा भारत की विदेश नीति में एक अहम कदम के रूप में देखा जा रहा है। मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए विश्व में संतुलन और स्थिरता के लिए सक्रिय योगदान देता रहेगा।
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