प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही एक महत्वपूर्ण कमांडर्स सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। यह बैठक मौजूदा समय में बढ़ती राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों की पृष्ठभूमि में बेहद अहम मानी जा रही है। इसमें थल सेना, वायु सेना और नौसेना के शीर्ष कमांडर सहित वरिष्ठ रक्षा अधिकारी शामिल होंगे।
सूत्रों के अनुसार, बैठक का मुख्य एजेंडा सीमाओं पर बढ़ते तनाव, समुद्री सुरक्षा, साइबर हमलों और आतंरिक सुरक्षा खतरों की समीक्षा करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी रक्षा बलों की संचालन क्षमता को और मज़बूत करने तथा तकनीकी रूप से उन्नत ढांचे के निर्माण पर बल देंगे।
सम्मेलन में रक्षा सुधारों, स्वदेशी हथियार उत्पादन और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत सैन्य आधुनिकीकरण पर भी चर्चा होने की संभावना है। सरकार का मानना है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य और पड़ोसी देशों की आक्रामक गतिविधियों को देखते हुए भारत को अपनी तैयारियों को और मज़बूत करना अनिवार्य है।
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विशेषज्ञों के मुताबिक, यह सम्मेलन केवल रणनीतिक समीक्षा भर नहीं होगा बल्कि भविष्य की रक्षा नीति और दीर्घकालिक योजनाओं की दिशा तय करने में भी अहम साबित होगा। इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास, सीमा प्रबंधन, अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों के इस्तेमाल और उभरते खतरों से निपटने की नई रणनीतियों पर ठोस फैसले लिए जा सकते हैं।
इस बैठक को भारत की रक्षा क्षमताओं और सुरक्षा दृष्टिकोण को नए आयाम देने वाला कदम माना जा रहा है, जो देश की सामरिक शक्ति को और सशक्त करेगा।
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