बिहार विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने और जन सुराज आंदोलन के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार पावर प्ले कॉन्क्लेव में कहा कि वह “एक्स फैक्टर” नहीं हैं और न ही उन्होंने कभी यह दावा किया कि वे चुनाव लड़ेंगे। बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी।
प्रशांत किशोर ने कहा, “हम या तो 10 से कम सीटें जीतेंगे या 150 से ज्यादा। मैंने कभी यह नहीं कहा कि मैं किसी सीट से चुनाव लड़ूंगा। अगर लड़ता, तो कारगहर से लड़ता।” उन्होंने कहा कि बिहार अब एनडीए और महागठबंधन दोनों से ऊब चुका है। जन सुराज कम से कम 160-170 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला करेगा।
किशोर ने कहा कि “लोग जन सुराज को विकल्प के रूप में देख रहे हैं, लेकिन वोट देने के लिए भरोसे की छलांग चाहिए, क्योंकि निराशा का दौर बहुत लंबा रहा है।”
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उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी योग्यता के आधार पर उम्मीदवार चुन रही है, न कि जाति के आधार पर। “हम जाति को समझते हैं, लेकिन जातिवादी राजनीति नहीं करते। बिहार में कोई यह नहीं कहेगा कि जन सुराज किसी एक जाति की पार्टी है।”
किशोर ने 2014 के नरेंद्र मोदी अभियान का उदाहरण देते हुए कहा, “हमने एक नया प्रारूप बनाया, जैसा तब बना था जब एक मुख्यमंत्री राष्ट्रीय नेता बने।” उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति केवल जाति पर आधारित नहीं रही है—जब-जब कोई व्यक्ति या मुद्दा जनता की कल्पना को पकड़ता है, उसे बिहार ने चुना है।
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